किसी प्रश्न में ‘क्यों‘ शब्द की उपस्थिति हमारी जिज्ञासा को व्यक्त करती है और निश्चित तौर पर हमारी जिज्ञासा ही हमें नए तथ्यों के खोज की तरफ अग्रसर करती है। यदि न्यूटन के मन में यह जानने की जिज्ञासा न आई होती कि ‘‘आखिर, सेब नीचे ही क्यो गिरा ?‘‘ तो शायद हमें गुरूत्वाकर्षण के अस्तित्व को जानने में देरी हो सकती थी। किसी प्रश्न में ‘क्यों‘, ‘कैसे‘ शब्दों की उपस्थिति हमारी जिज्ञासा तथा कल्पना शक्ति को व्यक्त करती है। महान् भौतिकविद् अल्बर्ट आइंस्टीन ने यह स्वीकार किया है कि
‘‘ मैरे अंदर कोई खास गुण नहीं है।
मैं तो ऐसा व्यक्ति हूँ,
जिसमें जिज्ञासा कूट-कूट कर भरी हुई है।‘‘
भौतिकविद् की जिज्ञासा तथा कल्पना शक्ति से ही भौतिकी का विकास हुआ और वास्तव में जिज्ञासा ही भौतिकी की जननी हंै। भौतिकी में खोजों और सफलताओं का इतिहास महान् भौतिकविद्ों की जिज्ञासा तथा कल्पना शक्ति पर ही आधारित है।